हनुमान अष्टक के चमत्कारी लाभ – जानिए क्यों करें इसका नियमित पाठ

हनुमान अष्टक के चमत्कारी लाभ – जानिए क्यों करें इसका नियमित पाठ

हर हर महादेव प्रिय पाठकों, कैसे हैं आप? आशा करते हैं कि आप ठीक होंगे। आज की इस post में हम जानेंगे हनुमान अष्टक के चमत्कारी लाभों के बारे मे विस्तृत जानकारी। 

हनुमान अष्टक का पाठ करते हुए भक्त – संकटों से मुक्ति और आत्मबल का प्रतीक
हनुमान जी की कृपा से संकटों का नाश – हनुमान अष्टक पाठ करते हुए भक्त।

हनुमान अष्टक (Hanuman Ashtak) एक बहुत ही शक्तिशाली स्तोत्र है जो गोस्वामी तुलसीदास जी द्वारा रचा गया है। इसका नियमित पाठ करने से न केवल मन और आत्मा को बल मिलता है, बल्कि जीवन में आने वाली अनेक बाधाएं दूर होती हैं। आइए सरल भाषा में जानें हनुमान अष्टक पढ़ने के प्रमुख लाभ—

हनुमान अष्टक पढ़ने के लाभ

1. भय और नकारात्मकता से मुक्ति

हनुमान अष्टक का पाठ डर, शंका, दुःस्वप्न और किसी भी प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा से रक्षा करता है। यह शत्रुओं के भय को दूर करता है।

2. मानसिक शांति और आत्मबल की प्राप्ति

जो व्यक्ति हनुमान अष्टक का नित्य पाठ करता है, उसका मन शांत रहता है और आत्मबल बढ़ता है। संकट के समय वह डगमगाता नहीं।

3. कष्टों और विपत्तियों से रक्षा

"दुर्गम काज जगत के जेते, सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते।"

यह पंक्ति बताती है कि हनुमान जी भक्त के हर कठिन कार्य को आसान कर देते हैं।

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4. शनि दोष और ग्रह बाधाओं से राहत

हनुमान जी को शनि देवता से मित्रवत माना जाता है। इसलिए हनुमान अष्टक शनि की दशा, साढ़ेसाती या अन्य ग्रह दोषों में अत्यंत लाभकारी है।

5. शारीरिक और मानसिक रोगों में लाभ

हनुमान अष्टक के नियमित पाठ से शरीर में ऊर्जा आती है, रोगों से लड़ने की शक्ति बढ़ती है और मानसिक तनाव घटता है।

6. रोजगार और करियर में सफलता

जो लोग नौकरी या व्यवसाय में अड़चनों से परेशान हैं, उन्हें यह पाठ मार्गदर्शन और साहस देता है। हनुमान जी की कृपा से मार्ग बनते हैं।

7. भूत-प्रेत बाधा से रक्षा

हनुमान अष्टक में ऐसे मंत्रात्मक शब्द हैं जो नकारात्मक शक्तियों को दूर रखते हैं। इसे पढ़ने से घर का वातावरण भी पवित्र रहता है।

पाठ कब और कैसे करें?

प्रातः या संध्या के समय, स्नान कर साफ वस्त्र पहनकर शांत मन से पाठ करें।

हनुमान जी के चित्र या मूर्ति के सामने दीपक और चंदन/लाल फूल अर्पित करें।

श्रद्धा और भाव से पढ़ें, संख्या से अधिक भक्ति को महत्व दें।

हनुमान अष्टक से जुड़ी एक प्रेरणादायक कथा

तुलसीदास जी और हनुमान जी का मिलन

एक बार गोस्वामी तुलसीदास जी चित्रकूट में भगवान श्रीराम का भजन करते हुए बैठे थे। वे श्रीराम के दर्शन के लिए अत्यंत व्याकुल थे। तभी एक वृद्ध वानर वहाँ आया और तुलसीदास जी के राम भजन को सुनकर अत्यधिक प्रसन्न हुआ। उसने तुलसीदास जी से कहा,

"यदि तुम सच में श्रीराम के दर्शन करना चाहते हो तो हनुमान जी की आराधना करो। वे ही मार्ग दिखाएंगे।"

तुलसीदास जी ने उसी क्षण से हनुमान जी का ध्यान करना आरंभ किया और अंततः हनुमान जी ने उन्हें दर्शन दिए।

यही वह समय माना जाता है जब तुलसीदास जी ने हनुमान अष्टक की रचना की और श्रीराम के दर्शन की दिशा में पहला कदम रखा।

सरल भाषा पढ़िए हनुमान चालीसा हिन्दी में 

हनुमान अष्टक का भावार्थ – सरल शब्दों में

इस स्तोत्र की हर पंक्ति संकटमोचक हनुमान जी की महिमा को दर्शाती है। उदाहरण के लिए:

“बाल समय रवि भक्षि लियो तब, तीनहुं लोक भयो अंधियारो।”

इसका अर्थ है — बाल्यकाल में जब हनुमान जी ने सूर्य को फल समझकर निगल लिया था, तो तीनों लोकों में अंधकार छा गया। इससे पता चलता है कि हनुमान जी में अपार शक्ति बचपन से ही थी।

“लाय संजीवन लखन जियाये, श्री रघुबीर हरषि उर लाये।”

इसका अर्थ है — जब लक्ष्मण जी मूर्छित हो गए, तब हनुमान जी संजीवनी लाकर उन्हें जीवित कर दिया। श्रीराम ने उन्हें हर्ष से गले लगा लिया।

इस प्रकार हर पंक्ति संकटों से मुक्ति और वीरता का प्रतीक है।

एक सच्ची घटना – हनुमान अष्टक से जीवन की रक्षा

संकट से बचाए एक भक्त की सच्ची कहानी

उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गाँव में रमेश नामक व्यक्ति को रात को अक्सर बुरे सपने आते थे। उसे लगता था जैसे कोई छाया उस पर हावी हो रही है। डर के कारण वह सो नहीं पाता था। किसी ने उसे हनुमान अष्टक का पाठ करने की सलाह दी। उसने नियमित रूप से श्रद्धा के साथ यह स्तोत्र पढ़ना शुरू किया। कुछ ही दिनों में उसके डर और दुःस्वप्न खत्म हो गए। उसका मन शांत रहने लगा और वह पुनः सामान्य जीवन जीने लगा। आज भी वह रोज सुबह हनुमान अष्टक का पाठ करता है।

संक्षिप्त जानकारी 

हनुमान अष्टक कोई साधारण पाठ नहीं, बल्कि एक रक्षक कवच है।

जिसे जब तक हनुमान जी पर श्रद्धा है, तब तक उसका जीवन संकटों से अडिग रहेगा।

तो प्रिय पाठकों, कैसी लगी आपको पोस्ट ,हम आशा करते हैं कि आपकों पोस्ट पसंद आयी होगी। अपनी राय प्रकट करें। इसी के साथ विदा लेते हैं अगली रोचक, ज्ञानवर्धक जानकारी के साथ विश्वज्ञान मे फिर से मुलाकात होगी ,तब तक के लिय आप अपना ख्याल रखे, हंसते रहिए, मुस्कराते रहिए और औरों को भी खुशियाँ बांटते रहिए।

धन्यवाद ,हर हर महादेव 

जय बजरंगबली!

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