अगर ब्रह्मांड अनंत है, तो उसके किनारे क्या है?
एक अद्भुत रहस्य जो विज्ञान, दर्शन और अध्यात्म से जुड़ा है
हर हर महादेव प्रिय पाठकों, कैसे हैं आप?
आशा करते हैं कि आप स्वस्थ, सुरक्षित और जिज्ञासु मन से भरे हुए होंगे। आज हम एक ऐसे सवाल का गहराई से विश्लेषण करेंगे, जो सदियों से मानव मन को उलझाता आ रहा है - अगर ब्रह्मांड अनंत है, तो उसके किनारे क्या है?
यह सवाल सिर्फ विज्ञान का ही नहीं, बल्कि धार्मिक, दार्शनिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से भी बहुत महत्वपूर्ण है। तो चलिए बिना देरी किए, इसे सरल भाषा में विस्तार से समझते हैं।
![]() |
ब्रह्मांड का किनारा - जहाँ विज्ञान मौन हो जाता है और आध्यात्म बोल उठता है।" |
1. ब्रह्मांड का अर्थ क्या है?
सबसे पहले, हमें यह समझना ज़रूरी है कि ब्रह्मांड (Universe) का मतलब क्या है।
ब्रह्मांड वह सब कुछ है जो अस्तित्व में है - सभी ग्रह, तारे, आकाशगंगाएँ, समय, स्थान, ऊर्जा और पदार्थ - सबकुछ ब्रह्मांड का ही हिस्सा है।
हमारा सौरमंडल, लाखों आकाशगंगाओं में से एक आकाशगंगा "मिल्की वे" में स्थित है। और वैज्ञानिक मानते हैं कि ऐसी दो लाख करोड़ (2 trillion) से भी अधिक आकाशगंगाएँ हैं।
2. ब्रह्मांड फैल क्यों रहा है?
1929 में एडविन हबल नामक वैज्ञानिक ने खोज की कि सभी आकाशगंगाएँ एक-दूसरे से दूर जा रही हैं।
इससे यह पता चला कि ब्रह्मांड लगातार फैल रहा है (Expanding Universe)।
आज के वैज्ञानिक मानते हैं कि ब्रह्मांड की शुरुआत लगभग 13.8 अरब वर्ष पहले बिग बैंग (Big Bang) नामक विस्फोट से हुई।
उसके बाद से ब्रह्मांड फैल रहा है, और आज भी फैल ही रहा है।
अब सवाल उठता है कि अगर ब्रह्मांड फैल रहा है, तो वह कहाँ तक फैल रहा है?
और अगर यह अनंत है, तो उसका किनारा या बाहर क्या है?
3. क्या ब्रह्मांड अनंत है?
यह आज भी एक अनसुलझा रहस्य है। वैज्ञानिक इस पर एकमत नहीं हैं।
दो मुख्य सिद्धांत हैं-
ब्रह्मांड अनंत है (Infinite Universe)
कुछ वैज्ञानिक मानते हैं कि ब्रह्मांड का कोई अंत नहीं है। यह हर दिशा में अनंत है - बिना किनारे, बिना सीमा।
ब्रह्मांड सीमित लेकिन बिना किनारे के (Finite but Boundless)
यह थोड़ा मुश्किल है, लेकिन इसे ऐसे समझिए
जैसे पृथ्वी गोल है - और आप किसी दिशा में चलते रहें तो आप बार-बार घूमकर वहीं वापस आ जाते हैं -
वैसे ही ब्रह्मांड एक तरह का "त्रि-आयामी गोला" हो सकता है, जिसमें कोई दीवार नहीं, लेकिन फिर भी वह सीमित क्षेत्र में मौजूद है।
4. किनारा शब्द का अर्थ ही क्या है?
जब हम किनारा या सीमा कहते हैं, तो हम इंसानों के अनुभव से बोलते हैं।
हमने घर की दीवार देखी है, धरती की ज़मीन देखी है, आकाश का छोर देखा है - इसलिए हमें लगता है कि हर चीज़ का कोई न कोई अंत ज़रूर होता होगा।
लेकिन विज्ञान कहता है कि ब्रह्मांड हमारे अनुभवों से परे है।
अगर ब्रह्मांड सच में अनंत है, तो उसमें किसी बाहर, किनारे, दीवार, अंत की संभावना ही नहीं बचती।
5. अगर ब्रह्मांड का कोई किनारा नहीं, तो बाहर क्या है?
यह एक और रहस्यमय सवाल है। अगर ब्रह्मांड के बाहर कुछ है - तो वह न समय है, न स्थान, न ऊर्जा, न पदार्थ।
उस बाहर को हम समझ भी नहीं सकते।
विज्ञान की भाषा में कहें तो - ब्रह्मांड के बाहर कुछ भी नहीं है, क्योंकि "बाहर" जैसी कोई चीज़ ही नहीं है।
यह मान लेना कि ब्रह्मांड का कोई बाहर है, वैसा ही है जैसे आप समुद्र की सतह पर खड़े होकर पूछें -
इसका ऊपर क्या है? - उत्तर होगा, आसमान।
फिर पूछें - आसमान के बाहर? - अंतरिक्ष।
लेकिन अंततः आप एक ऐसे स्तर पर पहुँचते हैं, जहाँ बाहर का कोई मतलब नहीं रह जाता।
6. क्या ब्रह्मांड किसी चीज़ में फैला हुआ है?
यह सवाल भी बड़ा सामान्य है -क्या ब्रह्मांड किसी और जगह के अंदर फैला है?
उत्तर है - नहीं।
ब्रह्मांड खुद समय और स्थान को जन्म देता है।
ब्रह्मांड के बाहर ना तो कोई स्थान है, ना समय।
यानी वह खुद ही परिवेश है - उसके बाहर कुछ और हो ही नहीं सकता।
7. धर्म और दर्शन क्या कहते हैं?
हिंदू धर्म
उपनिषद और वेद कहते हैं कि ब्रह्मांड अनंत है।
ब्रह्म को ही सृष्टि का मूल कहा गया है — जो अनादि, अनंत और अव्यक्त है।
मंडूक्य उपनिषद कहता है
अद्वैतं शान्तं शिवं अद्वैतं चतुर्थं मन्यन्ते स आत्मा स विज्ञेय:
यह आत्मा (या ब्रह्म) ही सब कुछ है। न कोई बाहर, न कोई किनारा।
बौद्ध धर्म
बौद्ध परंपरा कहती है कि ब्रह्मांड की कोई शुरुआत नहीं है, और यह चक्र की तरह चलता रहता है - सृजन, विनाश और पुनः सृजन।
ईसाई और इस्लाम धर्म
इन धर्मों में ईश्वर को ब्रह्मांड का रचयिता माना जाता है, और वह स्वयं ब्रह्मांड से परे है।
पर वे भी मानते हैं कि ईश्वर की रचना अनंत और उसकी समझ मनुष्य के बस की बात नहीं।
8. वैज्ञानिक दृष्टिकोण से क्या हम किनारे तक पहुँच सकते हैं?
नहीं। क्योंकि ब्रह्मांड का जो हिस्सा हम देख सकते हैं, वह Observable Universe है — जिसकी दूरी लगभग 93 अरब प्रकाश वर्ष तक मानी गई है।
लेकिन यह ब्रह्मांड का पूरा हिस्सा नहीं है।
हम उससे आगे देख ही नहीं सकते - क्योंकि वहाँ से प्रकाश अभी तक हम तक पहुँचा ही नहीं है।
तो ब्रह्मांड का जो भाग हमारे देखने के बाहर है, उसके बारे में हम सिर्फ अनुमान ही लगा सकते हैं।
9. अगर ब्रह्मांड की कोई सीमा है, तो उसके पार क्या हो सकता है?
कुछ सिद्धांत कहते हैं कि Multiverse (अनेक ब्रह्मांड) का विचार हो सकता है।
यानि हमारा ब्रह्मांड सिर्फ एक बबल है, और ऐसे असंख्य बबल्स हो सकते हैं - हर एक में एक नया ब्रह्मांड।
लेकिन यह सिर्फ एक विचार है - इसका कोई प्रत्यक्ष प्रमाण नहीं है।
10. क्या इस ज्ञान का हमारे जीवन से कोई संबंध है?
हाँ, बहुत गहरा।
जब हम समझते हैं कि ब्रह्मांड कितना विशाल, रहस्यमय और अनंत है-तो हमारा अहंकार टूटता है।
हम यह महसूस करते हैं कि हमारी समस्याएँ, दुख और द्वेष- इस ब्रह्मांड के सामने नगण्य हैं।
हिंदू दृष्टिकोण से देखा जाए तो यह ज्ञान हमें "अहं ब्रह्मास्मि" की ओर ले जाता है- कि हम भी उस ब्रह्मांड के ही अंश हैं।
संक्षेप में
अगर ब्रह्मांड अनंत है, तो उसके किनारे क्या है?
अगर ब्रह्मांड अनंत है, तो उसका कोई किनारा नहीं है।
और अगर वह सीमित है, तो भी उसमें किसी दीवार या बाहर की जगह नहीं है।
किनारा, बाहर, अंत जैसी कल्पनाएँ मनुष्य की सीमित सोच का परिणाम हैं।
ब्रह्मांड अपने आप में इतना अद्भुत और रहस्यमय है कि उसे हम पूरी तरह समझ नहीं सकते - कम से कम अभी नहीं।
अंत में
प्रिय पाठकों, इस रहस्य से हमें एक बात जरूर समझ लेनी चाहिए
कि हम इस ब्रह्मांड में बहुत छोटे हैं, लेकिन हमारी जिज्ञासा बहुत बड़ी है।
और यही हमें ईश्वर के, सत्य के, ज्ञान के करीब ले जाती है।
तो प्रिय पाठकों, कैसी लगी आपको आज की ये पोस्ट, आशा है पसंद आई होगी। अगली पोस्ट के साथ फिर मुलाकात ,तब तक के लिए आप अपना ख्याल रखें, हंसते रहिए ,मुस्कराते रहिए और प्रभु का स्मरण करते रहिए।
हर हर महादेव
धन्यवाद