रामायण के 10 भयंकर राक्षस – जिन्हें देखकर देवता भी काँप उठते थे ।
प्रिय पाठकों,
दशहरा का पर्व केवल बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक नहीं है, बल्कि यह हमें रामायण की अनगिनत अद्भुत कथाओं की भी याद दिलाता है। जब भी हम रावण का नाम सुनते हैं, हमारे सामने एक महान विद्वान, शिवभक्त और असीम शक्ति वाला राक्षस राजा आता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि रावण अकेला ही इतना शक्तिशाली नहीं था? उसकी सेना में ऐसे-ऐसे मायावी राक्षस शामिल थे, जिनकी शक्ति और चतुराई का मुकाबला देवता भी आसानी से नहीं कर सकते थे।
इन राक्षसों के पास केवल बल ही नहीं, बल्कि वेद मंत्रों का ज्ञान, मायावी शक्ति, रूप बदलने की क्षमता और अद्भुत युद्धकला थी। यही कारण था कि रावण की लंका की सेना को हराना साधारण काम नहीं था। भगवान श्रीराम और वानर सेना को इनसे लंबा और कठिन युद्ध लड़ना पड़ा।
आइए जानते हैं रावण की सेना के 10 प्रमुख मायावी राक्षसों के बारे में, जिनका नाम इतिहास के पन्नों में सुनहरे अक्षरों से दर्ज है।
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रावण और उसकी भयंकर मायावी सेना – दशहरा की प्रेरणादायक झलक, जहाँ धर्म की जीत हुई अधर्म पर। |
1. कुंभकर्ण – निद्रा में डूबा हुआ बलशाली योद्धा
कुंभकर्ण रावण का भाई था और उसकी विशालकाय देह देखकर देवता भी कांप जाते थे। उसका शरीर पर्वत समान था और उसके एक वार से हजारों योद्धा धराशायी हो जाते थे। यद्यपि वह छह महीने तक सोया रहता, लेकिन जब युद्ध के लिए जागता तो उसका सामना करना असंभव हो जाता। रामायण युद्ध में उसने अकेले ही वानर सेना को भारी क्षति पहुँचाई थी।
2. इंद्रजीत (मेघनाद) – मायावी युद्धकला का अद्वितीय उस्ताद
रावण का सबसे वीर पुत्र इंद्रजीत देवताओं तक को युद्ध में पराजित कर चुका था। उसने इंद्र को बंदी बनाया था, तभी उसका नाम इंद्रजीत पड़ा। वह युद्धभूमि में अदृश्य होकर लड़ सकता था और नागपाश जैसे शक्तिशाली अस्त्रों का प्रयोग करता था। लक्ष्मण ने उसे मारकर रावण की सबसे बड़ी शक्ति को समाप्त किया था।
3. अतिकाय – अतुलनीय गदा धारी योद्धा
अतिकाय रावण का पुत्र था, जिसकी ऊँचाई और शक्ति अपार थी। वह भगवान शिव से प्राप्त अस्त्र-शस्त्रों का ज्ञाता था और गदा युद्ध में अद्वितीय था। कहा जाता है कि उसकी गदा के प्रहार से पर्वत तक हिल जाते थे। लक्ष्मण ने भगवान शिव के दिए हुए ब्रह्मास्त्र से उसका वध किया।
4. अकंपन – लंका का दृढ़ सेनापति
अकंपन रावण का एक निष्ठावान सेनापति था। वह नीति और रणनीति दोनों में माहिर था। जब हनुमान ने लंका का दहन किया, तब अकंपन ने रावण को श्रीराम की शक्ति के बारे में चेतावनी दी थी। युद्ध में उसकी वीरता का उदाहरण आज भी दिया जाता है।
5. प्रहस्त – रावण का प्रधान सेनापति
प्रहस्त रावण की सेना का मुख्य सेनापति था। उसकी गिनती सर्वश्रेष्ठ धनुर्धरों में होती थी। देवताओं और दानवों के बीच हुए कई युद्धों में उसने भाग लिया और जीत हासिल की। वानर योद्धा नील ने प्रहस्त का वध किया था।
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6. महापार्श्व – चतुर और पराक्रमी राक्षस
महापार्श्व रावण का सलाहकार और वीर योद्धा था। वह हर परिस्थिति में रावण का साथ देता और शत्रुओं को परास्त करने के लिए चालाकी भरे उपाय सुझाता। युद्ध में उसने वानर सेना को काफी परेशान किया।
7. निकुंभ – युद्ध कौशल में निपुण
निकुंभ रावण का पुत्र था और अपने भाई मेघनाद की तरह ही पराक्रमी था। उसने युद्ध में अंगद और हनुमान जैसे योद्धाओं का सामना किया। अंत में वह हनुमान द्वारा मारा गया।
8. देवान्तक – देवताओं के लिए संकट
देवान्तक नाम से ही स्पष्ट है कि यह राक्षस देवताओं के लिए भय का कारण था। रावण का यह पुत्र युद्धभूमि में गदा और तलवार दोनों से माहिर था। युद्ध में उसने वानर सेना के कई योद्धाओं को मौत के घाट उतारा, लेकिन अंततः हनुमान ने उसका वध किया।
9. नरान्तक – निडर और आक्रामक योद्धा
नरान्तक भी रावण का पुत्र था और अपने नाम की तरह ही निडर था। वह युद्धभूमि में अकेले हजारों वानरों से भिड़ गया। उसकी गति और आक्रामकता देखकर वानर सेना घबरा गई थी। अंततः अंगद ने नरान्तक को पराजित किया।
10. त्रिशिरा – तीन सिर वाला अद्भुत योद्धा
त्रिशिरा, रावण का एक और पुत्र, जिसके तीन सिर और छह भुजाएँ थीं। वह एक साथ कई अस्त्र-शस्त्र चला सकता था। उसने श्रीराम तक को कठिनाई में डाल दिया था। परंतु राम ने अपनी अपराजेय शक्ति से उसका वध किया।
जानिए रावण को क्यों नहीं जलाना चाहिये?
समापन
प्रिय पाठकों,
रामायण की कथा हमें यही सिखाती है कि चाहे रावण की सेना कितनी ही विशाल क्यों न हो, चाहे कितने ही मायावी राक्षस क्यों न हों, अंततः धर्म और सत्य की जीत निश्चित है। दशहरा का पर्व इन राक्षसों की शक्ति और वीरता को याद दिलाने के साथ-साथ हमें यह भी संदेश देता है कि बुराई कितनी भी प्रबल क्यों न हो, अच्छाई के आगे उसका अंत तय है।
हर दशहरा पर जब आप रावण दहन देखें, तो केवल रावण ही नहीं, बल्कि उसकी पूरी मायावी सेना को भी याद कीजिए- वे राक्षस जिनकी वीरता इतिहास में दर्ज है, पर जिनका अंत धर्म की रक्षा के लिए हुआ।
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क्या आप इनमें से किसी राक्षस की पूरी जीवन-कथा पढ़ना चाहेंगे?