यदि किसी भाग्यशाली को रिद्धि और सिद्धि प्राप्त हो जाए तो जीवन में क्या-क्या महत्त्वपूर्ण चमत्कार होते हैं?
हर हर महादेव प्रिय पाठकों,
कैसे हैं आप सभी? आशा है कि शिवशंकर की कृपा से आप स्वस्थ, प्रसन्न और कष्टमुक्त होंगे।
हमारे धर्म, शास्त्र और पुराणों में रिद्धि और सिद्धि को अद्भुत वरदान माना गया है। बहुत लोग केवल इन्हें गणेश जी की पत्नियों के रूप में जानते हैं - लेकिन आध्यात्मिक दृष्टि से रिद्धि-सिद्धि कोई केवल देवी नहीं हैं, बल्कि यह दो महान शक्तियाँ हैं जो किसी भाग्यशाली साधक को प्राप्त होती हैं।
इनके मिलने से साधक का जीवन असंभव से भी असंभव कार्यों को संभव करने में समर्थ हो जाता है।
आज हम विस्तार से जानेंगे कि रिद्धि-सिद्धि क्या हैं, ये कैसे प्राप्त होती हैं और जब किसी के जीवन में आती हैं तो कौन-कौन से महत्त्वपूर्ण चमत्कार देखने को मिलते हैं।
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गणेश जी का रिद्धि-सिद्धि आशीर्वाद -जीवन में ऐश्वर्य और सिद्धियाँ प्राप्त हों। |
रिद्धि-सिद्धि का अर्थ क्या है?
सबसे पहले इन शब्दों को समझते हैं:
रिद्धि का अर्थ है - वैभव, ऐश्वर्य, समृद्धि, भौतिक सुख-साधन, सौभाग्य।
यह वह शक्ति है जो किसी को धन-धान्य, मान-सम्मान, ऐश्वर्य और सुविधा देती है।
सिद्धि का अर्थ है - असाधारण उपलब्धियाँ, योगबल, मानसिक और आध्यात्मिक शक्तियाँ।
सिद्धि से साधक को ऐसे अद्भुत सामर्थ्य प्राप्त होते हैं जो साधारण व्यक्ति के लिए असंभव हैं जैसे इच्छानुसार कार्य सिद्ध करना, संकटों से बचना, मन को नियंत्रित करना आदि।
गणेश जी को ‘रिद्धि-सिद्धि के पति’ इसलिए कहा गया क्योंकि वे समस्त विघ्नों को दूर करते हैं और अपने भक्तों को समृद्धि और सिद्धि दोनों प्रदान करते हैं।
क्यों कहा जाता है कि यह केवल भाग्यशाली को ही प्राप्त होती हैं?
शास्त्र कहते हैं -
ना दानं, ना तपो, ना तीर्थयात्रा, केवल शुद्ध मन और पूर्ण श्रद्धा से ही रिद्धि-सिद्धि मिलती हैं।
कहने का अर्थ है -
केवल धन या बाहरी कर्मकांड से यह नहीं मिलती।
यह तप, उपासना, साधना और अच्छे कर्मों का फल है।
बहुत जन्मों के पुण्य कर्म और इस जन्म की सच्ची साधना से ही कोई इतना पात्र बनता है कि उसे ये दोनों शक्तियाँ मिलें।
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रिद्धि-सिद्धि के जीवन में मिलने से कौन-कौन से चमत्कार होते हैं?
1- अपार आर्थिक समृद्धि और स्थायित्व
जिसे रिद्धि प्राप्त होती है उसके जीवन में धन की कमी नहीं रहती।
ऐसा व्यक्ति केवल पैसे वाला नहीं होता, बल्कि उसके पास धन को टिकाए रखने और सही जगह उपयोग करने की योग्यता भी होती है।
उदाहरण:
कई साधक होते हैं जिनके पास थोड़े साधन होते हुए भी कभी अभाव नहीं रहता क्योंकि रिद्धि शक्ति उनके जीवन को ऐसे अवसर और साधन देती रहती है कि परिवार सदा संपन्न बना रहे।
2- विघ्न-बाधाओं से सुरक्षा
गणेश जी को विघ्नहर्ता कहा जाता है। रिद्धि-सिद्धि प्राप्त होने से जीवन में आने वाले बड़े से बड़े संकट अपने आप दूर होते हैं।
जहाँ कोई रास्ता नहीं दिखता वहाँ अचानक कोई समाधान प्रकट हो जाता है।
इसलिए कहा गया - “रिद्धि-सिद्धि प्राप्त व्यक्ति को संकट छू नहीं पाते।”
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3- सम्मान और समाज में आदर
ऐसा व्यक्ति जहाँ जाता है वहाँ उसे सम्मान मिलता है।
कई बार लोग सोचते हैं - “इसमें ऐसी क्या बात है जो सब इसे मानते हैं?”
असल में वह सम्मान उस व्यक्ति की आंतरिक रिद्धि शक्ति का ही प्रभाव होता है।
4- असाधारण मानसिक शक्ति (सिद्धि)
सिद्धि से साधक की बुद्धि तेज़ हो जाती है।
जटिल विषय भी सरल लगने लगते हैं।
मन स्थिर रहता है और साधक अपने लक्ष्य को भटकने नहीं देता।
योगशास्त्र में 8 महा सिद्धियाँ भी कही गई हैं:
1. अणिमा — सूक्ष्म रूप धारण करना
2. महिमा — आकार बढ़ा लेना
3. लघिमा — हल्केपन की शक्ति
4. प्राप्ति — इच्छित वस्तु प्राप्त कर लेना
5. प्राकाम्य — इच्छा पूर्ण कर लेना
6. ईशित्व — सब पर नियंत्रण
7. वशित्व — दूसरों को प्रभावित करना
8. कामावसायिता — इच्छानुसार कुछ भी करना
ऐसी सिद्धियाँ आज के समय में प्रतीकात्मक रूप से मानसिक शक्ति, आत्मविश्वास और दिव्य आकर्षण के रूप में प्रकट होती हैं।
5- दुर्लभ अवसरों की प्राप्ति
रिद्धि-सिद्धि से व्यक्ति के लिए ऐसे अवसर स्वतः बन जाते हैं जो सामान्य बुद्धि से संभव नहीं होते।
कई बार कोई साधारण परिवार का व्यक्ति अचानक राजा के समान वैभव को प्राप्त कर लेता है - यह सब रिद्धि का खेल है।
6- दूसरों का कल्याण करने की शक्ति
सबसे बड़ा चमत्कार यह होता है कि रिद्धि-सिद्धि प्राप्त व्यक्ति केवल अपने लिए नहीं जीता।
वह दूसरों की मदद के लिए भी तत्पर रहता है।
उसके पास इतना होता है कि वह दूसरों को भी धन, सलाह, शक्ति या मार्गदर्शन दे सके।
कहते हैं -रिद्धि-सिद्धि की सबसे सुंदर पहचान यह है कि इसका लाभ केवल एक व्यक्ति तक सीमित न रहे।
7- आध्यात्मिक उन्नति
जो साधक वास्तव में इनका सदुपयोग करता है, उसका मन घमंड में नहीं जाता बल्कि और विनम्र बन जाता है।
वह जानता है कि यह सब शक्ति ईश्वर की कृपा से है -इसलिए वह और अधिक भक्ति में रमता है।
रिद्धि-सिद्धि का दुरुपयोग क्यों नहीं करना चाहिए?
यहीं पर एक महत्वपूर्ण बात समझ लें -
यदि कोई व्यक्ति रिद्धि-सिद्धि प्राप्त करके अहंकारी हो जाए या दूसरों का अहित करने लगे तो शास्त्र कहते हैं कि ये शक्तियाँ छिन भी सकती हैं।
क्योंकि शक्ति का धर्म है -जहाँ सत्कर्म और भक्ति है, वहीं वह टिकती है।
ऐसे कौन-कौन से चमत्कार देखने को मिलते हैं?
दूसरों के लिए असंभव से असंभव कार्य एक साधक के लिए सरल हो जाते हैं।
साधक जब किसी को आशीर्वाद देता है तो वह भी सिद्ध होता है।
परिवार में सुख-शांति बनी रहती है।
मन में अडिग विश्वास रहता है कि “मेरे साथ परमात्मा की शक्ति है कुछ भी असंभव नहीं।”
शास्त्रों में प्रमाण
गणेश पुराण में लिखा है ,जो गणेश जी का नित्य स्मरण करता है उसे रिद्धि-सिद्धि प्राप्त होती है।
योग वशिष्ठ में भी कहा गया है कि सिद्धियाँ मन के सामर्थ्य से आती हैं और मन परमात्मा में समर्पित रहे तो वह अहंकार में फँसता नहीं।
श्रीमद्भागवत में कई महापुरुषों के उदाहरण हैं -जैसे हनुमान जी ने सिद्धियों का उपयोग केवल श्रीराम के कार्य में ही किया।
कैसे प्राप्त होती हैं रिद्धि-सिद्धि?
अब सवाल उठता है - ये किसी को कैसे मिलती हैं?
सच्ची भक्ति और शुद्ध आचरण
नियमित साधना और ध्यान
किसी विघ्नहर्ता देवता (जैसे गणेश जी) की कृपा
गुरु का आशीर्वाद
संकल्प शक्ति और सेवा भाव
यदि आप सिर्फ अपने स्वार्थ के लिए चाहते हैं तो ये दूर ही रहती हैं।
लेकिन यदि आप कहते हैं - “हे प्रभु! मुझे शक्ति दो ताकि मैं अपने कर्तव्यों को सही से कर सकूँ और दूसरों के भी काम आ सकूँ”- तो यह शक्ति आपके पास स्थायी रूप से टिक जाती है।
रिद्धि-सिद्धि को प्राप्त करने वाले कुछ उदाहरण
प्राचीन ऋषि-मुनि - जिन्होंने तपस्या से अद्भुत सिद्धियाँ प्राप्त कीं।
महापुरुष - जैसे संत तुकाराम, संत कबीर, संत ज्ञानेश्वर, जिनके वचन आज भी लोगों का जीवन बदल देते हैं।
सामान्य गृहस्थ - जैसे वह किसान जिसने भगवान का नाम लेकर ईमानदारी से काम किया और संकटों में भी समृद्ध रहा।
क्या आधुनिक युग में भी संभव है?
हाँ!
आज के समय में भी बहुत लोग बिना ढोल-नगाड़े के साधना करते हैं और रिद्धि-सिद्धि पाते हैं।
हो सकता है उन्होंने कभी अपनी सिद्धि को सार्वजनिक न किया हो ,पर उनके जीवन की घटनाएँ बताती हैं कि उनके साथ कोई अदृश्य शक्ति है।
रिद्धि-सिद्धि प्राप्त व्यक्ति के लक्षण
उसके जीवन में सहजता और सरलता होती है।
वह कभी अहंकारी नहीं होता।
उसके पास सब कुछ होते हुए भी वह दूसरों से बड़ा नहीं दिखता।
उसके शब्दों में ऐसी शक्ति होती है कि सुनने वाला प्रेरित हो जाता है।
संक्षेप में रिद्धि-सिद्धि का सार
रिद्धि - भौतिक समृद्धि, धन, ऐश्वर्य
सिद्धि - मानसिक, योगिक और आध्यात्मिक शक्ति
इन दोनों से व्यक्ति का जीवन दिव्य हो जाता है।
पर इनका सही उपयोग करना ही सबसे बड़ा धर्म है।
सुंदर मंत्र
हे गणेश! मुझे रिद्धि-सिद्धि प्रदान करें,
और साथ ही विवेक दें कि मैं इनका दुरुपयोग न करूँ।
इसलिए
रिद्धि-सिद्धि का चमत्कार केवल धन या सिद्धि तक सीमित नहीं है - बल्कि यह उस साधक को इतना समर्थ बनाती हैं कि वह स्वयं के साथ दूसरों का भी कल्याण कर सके।
इसलिए यदि आपके जीवन में भी रिद्धि-सिद्धि का प्रकाश आए तो उसे सँभालकर रखें, उसमें घमंड न आने दें और उसे सेवा और भक्ति में लगाएँ। यही सच्चा चमत्कार होगा!
🙏 आपके लिए मंगलकामना
ईश्वर आप पर रिद्धि-सिद्धि की कृपा बनाए रखें, आपके जीवन में अपार समृद्धि, सिद्धि और सेवा-भाव हमेशा बना रहे!
तो प्रिय पाठकों, कैसी लगी आपको पोस्ट ,हम आशा करते हैं कि आपकों पोस्ट पसंद आयी होगी। इसी के साथ विदा लेते हैं अगली रोचक, ज्ञानवर्धक जानकारी के साथ विश्वज्ञान मे फिर से मुलाकात होगी ,तब तक के लिय आप अपना ख्याल रखे, हंसते रहिए, मुस्कराते रहिए और औरों को भी खुशियाँ बांटते रहिए।
धन्यवाद!
हर हर महादेव 🙏