पादुका मंत्र का रहस्य: क्या आज भी वायु में उड़ सकते हैं साधक?

पादुका मंत्र का रहस्य: क्या आज भी वायु में उड़ सकते हैं साधक?

हर हर महादेव प्रिय पाठकों,

कैसे है आप लोग, आशा करते हैं आप स्वस्थ होंगे, खुश होंगे। मित्रों आज की इस पोस्ट में हम जानेंगे की क्या आज के समय में मनुष्य पादुका मंत्र प्राप्त कर सकता है? क्या वह वायु में उड़ सकता है या चल सकता है?

आइए सरल भाषा के साथ विस्तार से समझते हैं कि क्या पादुका मंत्र प्राप्त कर के मनुष्य वायु में आवागमन कर पाएंगे? या नहीं 

पादुका मंत्र की दिव्य शक्ति से वायु गमन करते हुए साधु भारतीय साधु ध्यान में बैठे हैं, उनके सामने चमकती हुई गुरु पादुका से दिव्य प्रकाश उठ रहा है, जो उन्हें वायु में उठा रहा है।
पादुका मंत्र की साधना से साधु वायु में गमन करते हुए - एक दिव्य अनुभव

पादुका मंत्र का अर्थ 

पादुका का अर्थ होता है- चरण पादुका, यानी जूते, खड़ाऊँ या सैंडल जो साधारणतः किसी महान तपस्वी, योगी, या भगवान के चरणों का प्रतीक मानी जाती है। पादुका मंत्र से तात्पर्य ऐसे मंत्र से है जो साधक को अद्भुत गति, स्थिरता, और आकाशगमन (वायु में चलने) जैसी सिद्धियाँ प्रदान कर सके।

शास्त्रों में क्या कहा गया है?

प्राचीन ग्रंथों में जैसे योग वशिष्ठ, पतंजलि योग सूत्र, और हठ योग प्रदीपिका में कहा गया है कि कुछ विशिष्ट साधनाओं और मंत्रों के माध्यम से साधक लघिमा (शरीर को बहुत हल्का कर देना) और गुरिमा (शरीर को भारी करना) जैसी सिद्धियाँ प्राप्त कर सकता है।

लघिमा सिद्धि से साधक अपने शरीर को इतना हल्का कर सकता है कि वह वायु में तैर सके या उड़ सके।

पादुका मंत्र और वायु गमन का संबंध

अगर कोई पादुका मंत्र का सही ढंग से दीक्षा लेकर, श्रद्धा और नियमपूर्वक जप करता है, तो वह विशेष आध्यात्मिक शक्तियाँ अर्जित कर सकता है।

इन शक्तियों में से एक है 'वायु में चलने' की क्षमता। अर्थात, साधक अपने शरीर को वायुवत (हल्का) कर सकता है, जिससे उसे वायु में आवागमन करना संभव हो सकता है।

लेकिन यह अत्यंत कठिन है। यह केवल उन्हीं साधकों के लिए संभव है जो मन, वचन और शरीर से पूरी तरह पवित्र, संयमी और तपस्वी होते हैं।

क्या आज के समय में यह संभव है?

आज के सामान्य जीवन में इस प्रकार की सिद्धियाँ बहुत दुर्लभ हो गई हैं।

इसका मुख्य कारण है- ध्यान की कमी, संयम की कमी, और बाह्य संसार में अत्यधिक व्यस्तता।

फिर भी यदि कोई पूर्ण श्रद्धा, गुरु कृपा, और कठोर साधना करे, तो संभव है कि वह "लघिमा" सिद्धि प्राप्त कर पादुका मंत्र के प्रभाव से वायु में गमन कर सके।

पादुका मंत्र का उदाहरण और उसकी साधना विधि

1. पादुका मंत्र का उदाहरण

ऐसा कहा जाता है कि साधारणतः पादुका साधना के लिए कुछ गुप्त (गुरु द्वारा प्रदत्त) मंत्र होते हैं। परन्तु शास्त्रीय ग्रंथों और परंपराओं में कुछ सामान्य पादुका मंत्र भी बताए गए हैं, जैसे-

ॐ पद्मनाभाय नमः पादुका सिद्धिं मे प्रयच्छ स्वाहा।

कुछ स्थानों पर थोड़ा भिन्न रूप भी मिलता है-

ॐ श्री गुरु पादुके नमः।

विशिष्ट साधकों के लिए

ॐ नित्यायै पादुकायै नमः।

इन मंत्रों के प्रभाव

साधक की गति तीव्र होती है।

शरीर में लघिमा (हल्कापन) आता है।

साधक के मार्ग की बाधाएँ हटती हैं।

आकाशगमन जैसी सिद्धियाँ संभव हो सकती हैं।

2. पादुका मंत्र साधना की विधि

(1) शुभ दिन और समय चुनें

अमावस्या, पूर्णिमा, या किसी सिद्ध योग वाले दिन साधना आरंभ करें।

ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4-6 बजे) सर्वोत्तम समय है।

(2) आसन और स्थान

शांत, पवित्र, एकांत स्थान चुनें।

कुशासन या चर्मासन (चमड़े का आसन) पर बैठें।

(3) ध्यान और शुद्धता

शरीर और मन दोनों की शुद्धता अनिवार्य है।

स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनें।

गुरु, भगवान या जिस देवता की पादुका साधना कर रहे हैं, उनके चरणों का ध्यान करें।

(4) दीपक जलाएँ

घी या तिल के तेल का दीपक जलाकर साधना आरंभ करें।

सामने पादुका (चरण चिन्ह) या गुरु की खड़ाऊँ रख सकते हैं।

(5) मंत्र जप विधि

रुद्राक्ष माला या तुलसी माला से 108 बार (एक माला) मंत्र जप करें।

साधना कम से कम 41 दिन तक नियमित करें।

यदि संभव हो तो दिन में दो बार (सुबह-शाम) जप करें।

(6) भावना और श्रद्धा

जप करते समय अपने शरीर को अत्यंत हल्का और वायुवत (हवा जैसा) महसूस करने का प्रयास करें।

कल्पना करें कि आप वायु में तैर रहे हैं, या शरीर पृथ्वी से हल्का होकर ऊपर उठ रहा है।

(7) आहार नियम

सात्त्विक आहार करें (फल, दूध, हल्का भोजन)।

मांस, मदिरा, तामसिक भोजन से पूर्णतः बचें।

(8) साधना पूर्ण होने पर

गुरु अथवा इष्टदेव को धन्यवाद दें।

यथाशक्ति अन्नदान या किसी पुण्य कार्य में सहभागिता करें।

विशेष सावधानियाँ

यह साधना गम्भीरता से करें, मजाक या हल्केपन से नहीं।

गुरु के मार्गदर्शन में करना श्रेष्ठ होता है।

यदि मन में भय या अहंकार आये तो साधना स्थगित कर दें।

सिद्धियाँ आने पर भी नम्रता बनाए रखें, अन्यथा सिद्धियाँ नष्ट हो सकती हैं।

पादुका साधना के दौरान हो सकने वाले दिव्य अनुभव

जब कोई श्रद्धा से पादुका मंत्र साधना करता है, तो समय के साथ कुछ विशेष अनुभव हो सकते हैं:

1. शरीर में हलकापन महसूस होना

साधना करते समय लगेगा कि शरीर का भार कम हो गया है।

ऐसा लगेगा जैसे आप ज़मीन से कुछ इंच ऊपर उठ रहे हैं।

2. वायु तत्व की अनुभूति

कभी-कभी साधना के दौरान शरीर के भीतर या बाहर से शीतल हवा का स्पर्श अनुभव होगा।

या ऐसा लगेगा कि आप वायु के प्रवाह में बह रहे हैं।

3. दिव्य सुगंध (गंध) आना

अचानक बिना किसी भौतिक कारण के दिव्य फूलों जैसी सुगंध आ सकती है।

यह संकेत होता है कि सूक्ष्म स्तर पर शक्तियाँ जाग्रत हो रही हैं।

4. अदृश्य संगीत या दिव्य ध्वनि सुनाई देना

साधना में बैठे-बैठे मधुर घंटियों या वीणा जैसी आवाज़ सुनाई दे सकती है।

यह अंतरिक्षीय (आकाशीय) शक्तियों का साक्षात्कार है।

5. स्वप्नों में संकेत मिलना

गुरु या देवता स्वप्न में दर्शन दे सकते हैं।

स्वप्न में पादुका, आकाशगमन, उड़ना, या दिव्य ज्योति दिख सकती है।

6. मन में गहरी शांति और आनंद का प्रस्फुटन

साधना करते समय अत्यंत सुख और शांति का अनुभव होता है।

भीतर कोई अदृश्य आनंद बहने लगता है।

पादुका मंत्र साधना से वायु में गमन- सरल विधि और नियम

पौराणिक मान्यता है कि जिन साधकों को अपने गुरु की कृपा से 'पादुका मंत्र' की सिद्धि प्राप्त हो जाती है, वे वायु जैसे तत्वों पर अधिकार पा सकते हैं। साधना के चरम अवस्था में साधक वायु में आवागमन (गमन-आगमन) कर सकता है। लेकिन यह अत्यंत कठिन और संयमपूर्ण साधना है, जिसमें मन, वचन और शरीर की पवित्रता परम आवश्यक है।

साधना प्रारंभ करने से पूर्व आवश्यक बातें

गुरु दीक्षा अनिवार्य है। बिना गुरु की कृपा से यह साधना सफल नहीं होती।

पूर्ण ब्रह्मचर्य का पालन साधना काल में आवश्यक है।

शुद्ध आहार और शुद्ध विचार रखने पड़ते हैं।

सकारात्मक भाव और सेवा भाव से ही साधना का परिणाम मिलता है।

गुरु की पहचान कैसे करें जानने के लिए पढ़े- सच्चे गुरु कौन होते हैं 

पादुका मंत्र

(गुरु से दीक्षा लेकर ही मंत्र लेना चाहिए, परंतु सामान्य रूप से पादुका स्तोत्र का जप प्रारंभ किया जा सकता है।)

पवित्र पादुका मंत्र उदाहरण

ॐ श्री गुरुपादुकाभ्यां नमः

या

ॐ परात्पर गुरु चरणारविंदाय नमः

साधना विधि (Step by Step)

1. दिन और समय

शुक्ल पक्ष के सोमवार, गुरुवार या पूर्णिमा को प्रारंभ करें।

ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4-6 बजे) में साधना करना श्रेष्ठ होता है।

2. स्थान चयन

एकांत, शांत और पवित्र स्थान हो।

वहाँ गुरु की तस्वीर या पवित्र पादुका (चरण पादुका) स्थापित करें।

3. संकल्प लें

"मैं अमुक नाम साधक, गुरु कृपा से पादुका साधना द्वारा आत्मकल्याण व वायुगमन की सिद्धि हेतु यह साधना करता हूँ।"

4. दीपक जलाएं और धूप-अगरबत्ती करें।

शुद्ध देशी घी का दीपक उपयोग करें।

5. पूजा और आवाहन

गुरु का आह्वान करें और उनके श्री चरणों का पूजन करें।

6. मंत्र जप

दिन में कम से कम 3 माला (हर माला 108 बार) मंत्र जप करें।

अगर संभव हो तो 11 माला प्रतिदिन जपें।

7. ध्यान और Visualization

कल्पना करें कि गुरु के पवित्र पाद आपके सिर पर हैं, और आप वायु में लीन हो रहे हैं।

जैसे-जैसे साधना बढ़ेगी, मनुष्य के अंदर प्रकाश और हल्कापन बढ़ने लगेगा।

8. नैवेद्य अर्पण करें

रोज फल या दूध का नैवेद्य अर्पित करें।

9. समापन

41 दिन या 90 दिन तक यह साधना लगातार करें। (कोई दिन न छोड़ें।)

साधना के नियम

साधना काल में पूर्ण ब्रह्मचर्य का पालन करें।

झूठ, छल, कटु वचन, लोभ से दूर रहें।

मांसाहार, शराब, लहसुन-प्याज पूर्णत: त्यागें।

रात्रि में जल्दी सोना और प्रातः जल्दी उठना अनिवार्य है।

माता-पिता और गुरु का आशीर्वाद प्रतिदिन प्राप्त करें।

साधना स्थान को अत्यंत पवित्र रखें।

सिद्धि के लक्षण (Signs of Success)

शरीर अत्यंत हल्का लगने लगेगा।

स्वप्न में वायु में उड़ने के दृश्य दिखाई देंगे।

मन से भय का लोप होने लगेगा।

आकाशगमन का वास्तविक अनुभव धीरे-धीरे शुरू हो सकता है (कभी-कभी साधक को आंशिक अनुभव होता है कि वह हवा में थोड़ा ऊपर उठ गया)।

गुरु दर्शन या दिव्य संकेत प्राप्त हो सकते हैं।

महत्वपूर्ण चेतावनी

यह साधना अहंकार बढ़ाने के लिए नहीं है। यदि किसी भी प्रकार का अभिमान आता है, तो सिद्धि तुरंत नष्ट हो सकती है।

साधना का उद्देश्य केवल ईश्वर प्राप्ति और आत्मकल्याण होना चाहिए, न कि चमत्कार दिखाना।

बिना गुरु कृपा के वायु में स्थायी गमन कठिन है। अतः संयम और समर्पण आवश्यक है।

अंत में संक्षिप्त सारांश

गुरु चरणों में अटूट श्रद्धा, साधना में निरंतरता, और मन, वचन, कर्म की पवित्रता से साधक वायु में गमन कर सकता है। परंतु यह साधना सरल नहीं, बहुत संयम और त्याग माँगती है।

अगर आप पवित्र मन से, संयमित जीवन शैली अपनाकर, गुरु कृपा और पादुका मंत्र साधना करते हैं 

तो वायु में आवागमन, शरीर का लघिमा होना, और आकाशगमन जैसे दिव्य अनुभव संभव हैं।

लेकिन यह धैर्य, विश्वास और लगातार साधना से ही प्राप्त होता है।

सच्चे साधक को जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए, बल्कि प्रेम और समर्पण से साधना करनी चाहिए।

क्या ईश्वर को भी गुरु बना सकते हैं जानने के लिये पढ़े- क्या अशरीरी ईश्वर भी इंसानों के गुरु बन सकते हैं?

FAQS 

पादुका मंत्र से वायु में उड़ना क्या संभव है?

हाँ, यदि साधक पूर्ण भक्ति, संयम और गुरु कृपा के साथ साधना करें तो संभव है।

साधना कितने दिन करनी चाहिए?

न्यूनतम 41 दिन, लेकिन कुछ साधक 90 दिन या उससे अधिक भी करते हैं।

क्या बिना गुरु के यह साधना की जा सकती है?

नहीं, गुरु दीक्षा अनिवार्य है।

क्या आज के समय में वायु गमन संभव है?

जी हाँ, यदि साधक पूर्ण श्रद्धा, नियम और तपस्या से साधना करे तो आज भी वायु गमन संभव है। परन्तु यह अत्यंत कठिन और दुर्लभ सिद्धि है।

पादुका मंत्र क्या है?

पादुका मंत्र गुरु की चरण पादुकाओं की महिमा का गुणगान करता है और साधक को दिव्य ऊर्जा से जोड़ता है।

क्या पादुका मंत्र से तुरंत वायु गमन हो सकता है?

नहीं, वायु गमन की सिद्धि साधना के बाद समय के साथ मिलती है, तुरंत नहीं। इसके लिए संयम और गुरु कृपा आवश्यक है।

पादुका मंत्र कैसे प्राप्त करें?

किसी योग्य गुरु से दीक्षा लेकर ही पादुका मंत्र को प्राप्त करना चाहिए। बिना गुरु के अनुमति के मंत्र प्रयोग अनुचित है।

क्या पादुका मंत्र केवल वायु गमन के लिए है?

नहीं, इसका मुख्य उद्देश्य साधक की आध्यात्मिक उन्नति, शांति और गुरु कृपा का अनुभव कराना है। वायु गमन केवल एक उप-फल (by-product) हो सकता है।

कम शब्दों मे कहे तो-

पादुका मंत्र साधक को अत्यंत ऊँचे आध्यात्मिक अनुभवों की ओर ले जा सकता है। वायु गमन एक प्रतीक है कि साधक ने अपनी चेतना को स्थूल जगत से ऊपर उठा लिया है। यदि आप भी इस दिव्यता को पाना चाहते हैं, तो श्रद्धा, संयम, साधना और गुरु कृपा की शरण अवश्य लें।

ईश्वर और गुरु के प्रेम में डूबकर साधना करें, सिद्धि अपने आप आएगी।

प्रिय पाठकों, कैसी लगी आपको पोस्ट ,हम आशा करते हैं कि आपकों पोस्ट पसंद आयी होगी। इसी के साथ विदा लेते हैं अगली रोचक, ज्ञानवर्धक जानकारी के साथ विश्वज्ञान मे फिर से मुलाकात होगी ,तब तक के लिय आप अपना ख्याल रखे, हंसते रहिए, मुस्कराते रहिए और औरों को भी खुशियाँ बांटते रहिए।

धन्यवाद ,

हर हर महादेव 

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