कलयुग में सतयुग की शुरुआत कैसे हो सकती है? भविष्यवाणियों में युग परिवर्तन लाने वाले महापुरुष का रहस्य!
हर हर महादेव प्रिय पाठकों,
आशा करते हैं कि आप स्वस्थ होंगे ।
मित्रों! जब-जब अधर्म बढ़ता है, तब-तब यह प्रश्न जन्म लेता है- क्या फिर से सतयुग आ सकता है?
आज की इस पोस्ट में हम यही जानेंगे कि कलयुग में सतयुग की शुरुआत कैसे हो सकती है?
क्या कोई भविष्यवाणी है? क्या कोई महापुरुष आएगा? क्या हमारे कर्म भी इस युग परिवर्तन में सहायक हैं?
आइए, वेदों, पुराणों और संत-महात्माओं के शब्दों के आधार पर इसका सरल उत्तर खोजते हैं।
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महापुरुष का आगमन — कलियुग के अंधकार को मिटाकर सतयुग की नई किरण। |
युगों का क्रम और उनका स्वभाव
सनातन धर्म में चार युग बताए गए हैं - सतयुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग और कलयुग।
सतयुग: सत्य और धर्म का युग - पूर्ण सात्विकता, सत्याचरण और उच्च चेतना से परिपूर्ण।
त्रेतायुग: अधर्म की थोड़ी वृद्धि - रामावतार जैसे आदर्श महापुरुष धर्म की स्थापना करते हैं।
द्वापरयुग: पाप और अधर्म में वृद्धि - महाभारत, श्रीकृष्ण का उपदेश, धर्म की रक्षा हेतु युद्ध।
कलयुग: कलह, कपट, लोभ, स्वार्थ, अधर्म और अज्ञानता का युग - मानवता का नैतिक पतन।
पुराणों के अनुसार, एक चक्र पूरा होते ही फिर से नया सतयुग आता है। तो सवाल है - क्या कलयुग में रहते हुए भी सतयुग संभव है?
क्या सतयुग सिर्फ समय की बात है?
कुछ विद्वान मानते हैं कि युग सिर्फ कैलेंडर का खेल नहीं हैं।
युग का अर्थ है - मानव का चेतना स्तर।
जिस युग में हम रहते हैं, वह हमारे अंदर के गुणों से भी निर्धारित होता है।
यदि व्यक्ति स्वयं में धर्म, सत्य, दया, करुणा, प्रेम और समर्पण जाग्रत कर ले, तो उसके लिए वही सतयुग है।
इसी कारण संतों ने कहा - मन चंगा तो कठौती में गंगा।
मतलब, अगर तुम्हारा मन शुद्ध है, तो तुम्हारे लिए हर युग सतयुग है।
भविष्यवाणियाँ क्या कहती हैं?
अनेक पुराणों में कलयुगांत के समय एक विशेष अवतार की भविष्यवाणी है।
श्रीमद्भागवत महापुराण (स्कंध 12) में कहा गया है कि कलियुग के अंत में भगवान कल्कि अवतार लेंगे।
वे एक श्वेत घोड़े पर सवार होकर, अत्याचारी राजाओं का संहार करेंगे और पुनः धर्म की स्थापना करेंगे।
कलौ कल्कि अवताराय विष्णुर्जगति भूधरः।
श्रीमद्भागवत महापुराण
यह भविष्यवाणी दर्शाती है कि युग परिवर्तन में कोई न कोई दिव्य महापुरुष या अवतार आते हैं।
परन्तु सभी संतों ने यह भी कहा कि यह कार्य अकेले अवतार का नहीं होगा - ब्लकि मानव को भी अपने अंदर के अधर्म को समाप्त करना होगा।
कलयुग के बारे मे भविष्य मालिका क्या कहती हैं जानने के लिए पढ़े-भविष्य मालिका: कलियुग के अंत की भविष्यवाणियाँ
क्या वह महापुरुष आज भी आ चुके हैं?
कुछ परंपराएँ मानती हैं कि वह महापुरुष पहले से ही इस पृथ्वी पर जन्म ले चुके हैं, पर उन्होंने अभी स्वयं को प्रकट नहीं किया है।
कई संतों, विशेषकर नाथ संप्रदाय, कबीर पंथ और सिक्ख गुरुओं ने यह इशारा किया कि सतयुग लाने वाला महापुरुष साधारण परिवार में जन्म लेकर लंबे समय तक तपस्या करेगा और उचित समय आने पर अपनी पहचान प्रकट करेगा।
कुछ लोग श्री शंकराचार्य जैसे महान संतों को भी युग परिवर्तन के अग्रदूत मानते हैं।
कई भविष्यवाणियाँ भारत से बाहर भी किसी जागृत आत्मा के आने का संकेत देती हैं, जो पूरी दुनिया को एक नया आध्यात्मिक दृष्टिकोण देगी।
परन्तु इन सब बातों में एक ही गूढ़ संकेत है - वह महापुरुष अकेले युग परिवर्तन नहीं कर सकता, जब तक जनता स्वयं तैयार न हो।
क्या हमें सिर्फ महापुरुष का इंतजार करना चाहिए?
नहीं।
कबीर साहेब ने कहा -
जब मैं था तब हरि नहीं, अब हरि हैं मैं नाहीं।
सब अंधियारा मिट गया, दीपक देख्या माहीं।
मतलब-जब तक व्यक्ति में अहंकार है, तब तक ईश्वर कैसे प्रकट होंगे?
इसी प्रकार, कल्कि अवतार के लिए वातावरण तैयार करना भी हमारी जिम्मेदारी है।
हमें खुद अपने अंदर के अधर्म, छल, कपट, क्रोध, वासना, हिंसा को मिटाना होगा।
ADBHUT SHIV GUPHA|अदभुत शिव गुफा|शिव गुफा में छिपा कलयुग का अंत
सतयुग लाने की शुरुआत कहाँ से हो?
सतयुग की शुरुआत बाहर से नहीं, भीतर से होगी।
कुछ सरल उपाय
सद्गुरु की शरण
सच्चे गुरु की शरण में जाने से व्यक्ति का अज्ञान मिटता है और धर्म की राह आसान होती है।
सच्चे धर्म का पालन
ईमानदारी, सत्य, करुणा, सेवा, संयम, परोपकार - यह सब छोटे-छोटे कदम हमें भीतर से शुद्ध करते हैं।
वेदों और उपनिषदों का अध्ययन
प्राचीन ज्ञान को आत्मसात कर अपने जीवन को श्रेष्ठ बनाना।
संकल्प की शक्ति
यदि समाज का एक बड़ा वर्ग जाग जाए और हिंसा, भ्रष्टाचार और लोभ को त्याग दे - तो निश्चित ही सतयुग का अंकुर फूट पड़ेगा।
महापुरुष आएंगे या हम सब मिलकर महापुरुष बनेंगे?
असल में हर एक व्यक्ति के भीतर ही वह दिव्यता छुपी है।
युग परिवर्तन का अर्थ है -
भीड़ में से कुछ जागृत आत्माएँ निकलेंगी,
वे दूसरों को राह दिखाएँगी,
और धीरे-धीरे मानवता अपनी चेतना को ऊँचा उठाएगी।
बड़े-बड़े महापुरुष भी किसी काल में साधारण मनुष्य ही थे। उन्होंने अपने जीवन को तपस्या, साधना और सेवा से महापुरुष बना लिया।
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क्या कलयुग में सतयुग एक सपना है?
नहीं!
सतयुग सिर्फ प्रतीक्षा का विषय नहीं है ब्लकि यह प्रयास का विषय है।
वेदों में कहा गया है कि आत्मा अमर है और चेतना परिवर्तनशील है।
जब-जब यह चेतना पूर्ण सात्विक अवस्था में पहुँच जाती है, वही सतयुग होता है।
इसलिए
भविष्यवाणी स्पष्ट कहती है — युग परिवर्तन होगा।
कोई न कोई दिव्य महापुरुष मार्गदर्शन करेगा।
लेकिन अकेले अवतार कुछ नहीं कर सकते, जब तक हम अपने अंदर के कलियुग को हर दिन थोड़ा-थोड़ा खत्म न करें।
हर परिवार, हर समाज, हर मंदिर, हर आश्रम - यह सब मिलकर सतयुग के बीज बो सकते हैं।
और सबसे बड़ी बात यहीं है कि यह बीज मनुष्य के हृदय में ही पनपते हैं।
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अंत में
तुम्हीं सतयुग हो!
जिनके हृदय सत्यमय,
जिनके कर्म सरल।
सतयुग वहीं बस जायगा,
मिटे अधर्म विकल!
तो आइए - किसी अवतार के इंतजार के बजाय अपने भीतर के अधर्म को हरें, सत्य को अपनाएँ और युग परिवर्तन में अपना योगदान दें।
क्योंकि सच्चे अर्थों में सतयुग वहीं होगा, जहाँ सत्य का वास होगा!
जय सनातन धर्म! जय मानवता! जय सतयुग!
आपका सुझाव?
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धन्यवाद
हर हर महादेव